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राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन संस्थापक और पदाधिकारी

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Sanjay Arora

संजय अरोरा

( राष्ट्रीय संयोजक )

Mob. 8791818136

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Anil Agarwal

अनिल अग्रवाल

( राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद )

Mob. xxxxxxxxxx

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Sarita Sharma Arora

सरिता शर्मा अरोड़ा

( राष्ट्रीय अध्यक्ष महिला )

Mob. xxxxxxxxxx

भारत के चार धाम

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बद्रीनाथ धाम

बद्रीनाथ मन्दिर में हिंदू धर्म के देवता विष्णु के एक रूप "बद्रीनारायण" की पूजा होती है। यहाँ उनकी १ मीटर (३.३ फीट) लंबी शालिग्राम से निर्मित मूर्ति है जिसके बारे में मान्यता है कि इसे आदि शंकराचार्य ने ८वीं शताब्दी में समीपस्थ नारद कुण्ड से निकालकर स्थापित किया था। इस मूर्ति को कई हिंदुओं द्वारा विष्णु के आठ स्वयं व्यक्त क्षेत्रों (स्वयं प्रकट हुई प्रतिमाओं) में से एक माना जाता है। यद्यपि, यह मन्दिर उत्तर भारत में स्थित है, "रावल" कहे जाने वाले यहाँ के मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के केरल राज्य के नम्बूदरी सम्प्रदाय के ब्राह्मण होते हैं। बद्रीनाथ मन्दिर को उत्तर प्रदेश राज्य सरकार अधिनियम – ३०/१९४८ में मन्दिर अधिनियम – १६/१९३९ के तहत शामिल किया गया था, जिसे बाद में "श्री बद्रीनाथ तथा श्री केदारनाथ मन्दिर अधिनियम" के नाम से जाना जाने लगा। वर्तमान में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा नामित एक सत्रह सदस्यीय समिति दोनों, बद्रीनाथ एवं केदारनाथ मन्दिरों, को प्रशासित करती है।

द्वारका धाम

द्वारका एक अति-महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थस्थल है। यह हिन्दुओं के साथ सर्वाधिक पवित्र तीर्थों में से एक तथा चार धामों में से एक है। यह सात पुरियों में एक पुरी है। जिले का नाम द्वारका पुरी से रखा गया है जीसकी रचना २०१३ में की गई थी। यह नगरी भारत के पश्चिम में समुन्द्र के किनारे पर बसी है। हिन्दू धर्मग्रन्थों के अनुसार, भगवान कॄष्ण ने इसे बसाया था। यह श्रीकृष्ण की कर्मभूमि है। द्वारका भारत के सात सबसे प्राचीन शहरों में से एक है। धुनिक द्वारका एक शहर है। कस्बे के एक हिस्से के चारों ओर चहारदीवारी खिंची है इसके भीतर ही सारे बड़े-बड़े मन्दिर है। परिक्रमा रणछोड़जी के दर्शन के बाद मन्दिर की परिक्रमा की जाती है। मन्दिर की दीवार दोहरी है। दो दावारों के बीच इतनी जगह है कि आदमी समा सके। यही परिक्रमा का रास्ता है। रणछोड़जी के मन्दिर के सामने एक बहुत लम्बा-चौड़ा १०० फुट ऊंचा जगमोहन है। इसकी पांच मंजिलें है और इसमें ६० खम्बे है। रणछोड़जी के बाद इसकी परिक्रमा की जाती है। इसकी दीवारे भी दोहरी है।

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जगन्नाथ पुरी धाम

इस मंदिर के उद्गम से जुड़ी परंपरागत कथा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की इंद्रनील या नीलमणि से निर्मित मूल मूर्ति, एक अगरु वृक्ष के नीचे मिली थी। यह इतनी चकचौंध करने वाली थी, कि धर्म ने इसे पृथ्वी के नीचे छुपाना चाहा। मालवा नरेश इंद्रद्युम्न को स्वप्न में यही मूर्ति दिखाई दी थी। तब उसने कड़ी तपस्या की और तब भगवान विष्णु ने उसे बताया कि वह पुरी के समुद्र तट पर जाये और उसे एक दारु (लकड़ी) का लठ्ठा मिलेगा। उसी लकड़ी से वह मूर्ति का निर्माण कराये। राजा ने ऐसा ही किया और उसे लकड़ी का लठ्ठा मिल भी गया। उसके बाद राजा को विष्णु और विश्वकर्मा बढ़ई कारीगर और मूर्तिकार के रूप में उसके सामने उपस्थित हुए। किंतु उन्होंने यह शर्त रखी, कि वे एक माह में मूर्ति तैयार कर देंगे, परन्तु तब तक वह एक कमरे में बंद रहेंगे और राजा या कोई भी उस कमरे के अंदर नहीं आये। माह के अंतिम दिन जब कई दिनों तक कोई भी आवाज नहीं आयी, तो उत्सुकता वश राजा ने कमरे में झांका और वह वृद्ध कारीगर द्वार खोलकर बाहर आ गया।

रामेश्वरम धाम

रामेश्वरम् से दक्षिण में कन्याकुमारी नामक प्रसिद्ध तीर्थ है। रत्नाकर कहलानेवाली बंगाल की खाडी यहीं पर हिंद महासागर से मिलती है। रामेश्वरम् और सेतु बहुत प्राचीन है। परंतु रामनाथ का मंदिर उतना पुराना नहीं है। दक्षिण के कुछ और मंदिर डेढ़-दो हजार साल पहले के बने है, जबकि रामनाथ के मंदिर को बने अभी कुल आठ सौ वर्ष से भी कम हुए है। इस मंदिर के बहुत से भाग पचास-साठ साल पहले के है। रामेश्वरम का गलियारा विश्व का सबसे लंबा गलियारा है। यह उत्तर-दक्षिणमें १९७ मी. एवं पूर्व-पश्चिम १३३ मी. है। इसके परकोटे की चौड़ाई ६ मी. तथा ऊंचाई ९ मी. है। मंदिर के प्रवेशद्वार का गोपुरम ३८.४ मी. ऊंचा है। यह मंदिर लगभग ६ हेक्टेयर में बना हुआ है। मंदिर में विशालाक्षी जी के गर्भ-गृह के निकट ही नौ ज्योतिर्लिंग हैं, जो लंकापति विभीषण द्वारा स्थापित बताए जाते हैं। रामनाथ के मंदिर में जो ताम्रपट है, उनसे पता चलता है कि ११७३ ईस्वी में श्रीलंका के राजा पराक्रम बाहु ने मूल लिंग वाले गर्भगृह का निर्माण करवाया था।

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१२ ज्योतिर्लिंग

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। :उज्जयिन्यां महाकालमोंकारममलेश्वरम्॥1॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्।:सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥2॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।:हिमालये तु केदारं घृष्णेशं च शिवालये॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रात: पठेन्नर:।:सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥4॥

Temple

1. सोमनाथ

श्री सोमनाथ सौराष्ट्र, (गुजरात) के प्रभास क्षेत्र में विराजमान है। इस प्रसिद्ध मंदिर को अतीत में छह बार ध्वस्त एवं निर्मित किया गया है। १०२२ ई में इसकी समृद्धि को महमूद गजनवी के हमले से सार्वाधिक नुकसान पहुँचा था।

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2. मल्लिकार्जुन

आन्ध्र प्रदेश प्रांत के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तटपर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं।

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3. महाकालेश्वर

श्री महाकालेश्वर (मध्यप्रदेश) के मालवा क्षेत्र में क्षिप्रा नदी के तटपर पवित्र उज्जैन नगर में विराजमान है। उज्जैन को प्राचीनकाल में अवंतिकापुरी कहते थे।

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4. ॐकारेश्वर

मालवा क्षेत्र में श्रीॐकारेश्वर स्थान नर्मदा नदी के बीच स्थित द्वीप पर है। उज्जैन से खण्डवा जाने वाली रेलवे लाइन पर मोरटक्का नामक स्टेशन है, वहां से यह स्थान 10 मील दूर है।

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5. केदारनाथ

श्री केदारनाथ हिमालय के केदार नामक श्रृंगपर स्थित हैं। शिखर के पूर्व की ओर अलकनन्दा के तट पर श्री बदरीनाथ अवस्थित हैं और पश्चिम में मन्दाकिनी के किनारे श्री केदारनाथ हैं।

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6. भीमाशंकर

श्री भीमशंकर का स्थान मुंबई से पूर्व और पूना से उत्तर भीमा नदी के किनारे सह्याद्रि पर्वत पर है। यह स्थान नासिक से लगभग 120 मील दूर है। सह्याद्रि पर्वत के एक शिखर का नाम डाकिनी है।

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7. काशी विश्वनाथ

वाराणसी वाराणसी (उत्तर प्रदेश) स्थित काशी के श्रीविश्वनाथजी सबसे प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में एक हैं। गंगा तट स्थित काशी विश्वनाथ शिवलिंग दर्शन हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र है।

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8. त्र्यम्बकेश्वर

श्री त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र प्रांत के नासिक जिले में पंचवटी से 18 मील की दूरी पर ब्रह्मगिरि के निकट गोदावरी के किनारे है। इस स्थान पर पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम भी है।

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9. वैद्यनाथ

भारत में झारखण्ड के देवघर जिले में स्थित वैद्यनाथ ज् का मंदीर है। विश्व के सभी शिव मंदिरों के शीर्ष पर त्रिशूल लगा दीखता है मगर वैद्यनाथधाम परिसर के शिव, पार्वती, लक्ष्मी-नारायण व अन्य सभी मंदिरों के शीर्ष पर पंचशूल लगे हैं।

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10. नागेश्वर

श्रीनागेश्वर ज्योतिर्लिंग बड़ौदा क्षेत्रांतर्गत गोमती द्वारका से ईशानकोण में बारह-तेरह मील की दूरी पर है। निजाम हैदराबाद राज्य के अन्तर्गत औढ़ा ग्राम में स्थित शिवलिंग को ही कोई-कोई नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मानते हैं।

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11. रामेश्वर

श्रीरामेश्वर तीर्थ तमिलनाडु प्रांत के रामनाड जिले में है। यहाँ लंका विजय के पश्चात भगवान श्रीराम ने अपने अराध्यदेव शंकर की पूजा की थी। ज्योतिर्लिंग को श्रीरामेश्वर या श्रीरामलिंगेश्वर के नाम से जाना जाता है।

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12. घृष्णेश्वर

श्रीघुश्मेश्वर (गिरीश्नेश्वर) ज्योतिर्लिंग को घुसृणेश्वर या घृष्णेश्वर भी कहते हैं। इनका स्थान महाराष्ट्र प्रांत में दौलताबाद स्टेशन से बारह मील दूर बेरूल गांव के पास है।

भारत के वीर पुरुष व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी

Fighter

1. महाराणा प्रताप

भारतीय इतिहास में राजपुताने का गौरवपूर्ण स्थान रहा है। यहां के रणबांकुरों ने देश, जाति, धर्म तथा स्वाधीनता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने में कभी संकोच नहीं किया। उनके इस त्याग पर संपूर्ण भारत को गर्व रहा है। वीरों की इस भूमि में राजपूतों के छोटे-बड़े अनेक राज्य रहे जिन्होंने भारत की स्वाधीनता के लिए संघर्ष किया।

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2. पृथ्वीराज चौहान

पृथ्वीराज (सन् 1178-1192) चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे, जो उत्तर भारत में12 वीं सदी के उत्तरार्ध में अजमेर और दिल्ली पर राज्य करते थे. ... जब उनके पिता की मृत्यु हुई तो उन्होंने 13 साल की उम्र में अजमेर के राजगढ़ की गद्दी को संभाला. पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही एक कुशल योद्धा थे।

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3. छत्रपति शिवाजी महाराज

छत्रपती शिवाजी महाराज (1630-1680 ई.) भारत के एक महान राजा एवं रणनीतिकार थे जिन्होंने 1674 ई. में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उन्होंने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। सन् 1674 में रायगढ़ में उनका राज्यभिषेक हुआ और वह "छत्रपति" बने।

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4. सरदार भगत सिंह

भगत सिंह (जन्म: 28 सितम्बर 1907 , मृत्यु:23 मार्च 1931) भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी थे। चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इन्होंने देश की आज़ादी के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया।

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5. चन्द्रशेखर आजाद

भारत के नौजवानों में क्रान्ति की आग को जलाने वाले,मात्र 14 साल की उम्र में न्यायधीस खरेघाट के द्वारा पूछे गये प्रश्नों का निर्भीकता से दिये गये अपने उत्तरों से उसका मुँह बन्द करने वाले पं. सीताराम तिवारी और जगरानी देवी के पुत्र चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को भवरा नामक गाँव में हुआ था।

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6. लाला लाजपत राय

“स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा” की घोषणा करने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय का जन्म धुड़ीके फिरोजपुर, पंजाब में 28 जनवरी 1865 को अध्यापक लाला राधाकृष्ण अग्रवाल के यहाँ हुआ था। इनकी माता का नाम गुलाब देवी था। ये कांग्रेस के गरम दल के समर्थक थे।

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7. सुभाष चन्द्र बोस

भारत को अंग्रेजों की गुलामी के आजाद कराने के लिये ब्रिटिशों के खिलाफ आजाद हिन्द फौज का गठन करने वाले, भारतीयों के द्वारा नेताजी की उपाधी से सम्मानित सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में कटक (उड़ीसा) में हुआ था। इन्होंने मातृभूमि की सेवा करने के उद्देश्य से आई.सी.एस की नौकरी का त्याग कर दिया।

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8. बाल गंगाधर तिलक

आधुनिक भारत के वास्तुकार माने जाने वाले बाल गंगाधर तिलक, भारत के महान क्रांतिकारी और सच्चे स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपना महत्वपूर्ण रोल अदा किया था और युवाओं के अंदर आजाद भारत में रहने की अलख जगाई थी, इसलिए उन्हें भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का जनक भी माना जाता था।

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9. खुदीराम बोस

खुदीराम बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक युवा क्रांतिकारी थे, जो देश की रक्षा के लिए महज 19 साल की छोटी सी उम्र में सूली पर चढ़ गए, इस महान युवा क्रांतिकारी की शहादत से समूचे देश में अंग्रेजों के खिलाफ रोष फैल गया था और देश के नौजवानों को हृदय में राष्ट्र प्रेम की भावना उज्जवलित हो गई थी।

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10. मंगल पांडे

मंगल पांडे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखने वाले भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनके रोम-रोम में राष्ट्र प्रेम की भावना निहित थी और अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा भरा था। 1857 की क्रांति मंगल पांडे की ही देन है, इस क्रांति ने भारत को आजादी तो नही दिलवा पाई थी।

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11. रानी लक्ष्मीबाई

महारानी लक्ष्मी ने अपने अदम्य साहस और बहादुरी से अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे। वे देश की ऐसी वीरांगना थी, जिन्होंने देश को आजाद करवाने के लिए काफी संघर्ष किया। इसके साथ ही उन्होंने अपने राज्य झांसी की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ धावा बोला और बाद में वीरगति को प्राप्त हुईं थी।

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12. सरदार वल्लभ भाई पटेल

भारत की एकता के सूत्रधार और आधुनिक भारत के निर्माता कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी और आजाद भारत के पहले गृह मंत्री थे। जिन्होंने भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई थी।